मप्र के जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा द्वारा गांधी सागर बांध को लेकर दिए बयान पर सवाल खड़े हो गए हैं। मंत्री ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि सितंबर की बारिश के दौरान यदि समय पर गेट नहीं खोले जाते तो बांध टूट सकता था। एेसा होता तो चंबल नदी के किनारे राजस्थान में बने रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र में पानी घुस जाता और रूस के चेर्नोबिल जैसी घटना हो जाती, जिसमें चार हजार से ज्यादा जानें गईं। मंत्री के इस बयान के बाद संयंत्र के अधिकारियों ने ही बताया कि रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र को एेसी स्थिति में कोई खतरा नहीं है।
विशेषज्ञों ने कहा कि परमाणु बिजलीघर लगाने से पहले सेंट्रल वाटर एंड वाटर कमीशन भारत सरकार ने सीडब्ल्यूसी से गांधीसागर बांध टूटने की स्थिति में डेमब्रेक का अध्ययन कराया था। इसके बाद ही परमाणु संयंत्र ऊंचाई पर स्थापित किया गया था। परमाणु बिजलीघर पर किसी तरह का खतरा नहीं है। रेडिएशन से बचाव के लिए भी यहां हर तरह के संसाधन हैं।
No comments:
Post a Comment